मंगल दोष या मांगलिक दोष क्या होता है
शास्त्र का वचन है कि मंगल लग्न चतुर्थ सप्तम अष्टम और द्वादश भाव में स्थित हो तो मांगलिक दोष बनता है यह भी ध्यान रखने की आवश्यकता है कि लग्न से ही मांगलिक दोष बनता है चंद्रमा से नहीं बहुत सारे लोग जब लगन से मांगलिक दोष नहीं होता तो चंद्रमा से भी विचार करते हैं और उसे आंशिक मांगलिक कहा जाता है
मांगलिक दोष के लिए कौन सा ग्रह कारक है
मांगलिक दोष का आकलन हमारी कुंडली में मौजूद मंगल ग्रह की स्थिति के अनुसार किया जाता है
साथ ही मांगलिक दोष का आकलन करते समय हमें कुछ बातें बहुत बारीकी से देखनी चाहिए जैसे कि मंगल क्या अपने मित्र राशि में है या अपने शत्रु राशि में है
जन्म कुंडली में मंगल दोष कैसे बनता है
ज्योतिष के अनुसार एक बहुत ही सरल गणित बताया गया है जिससे हम जान सकते हैं कि क्या हमारी कुंडली में मांगलिक दोष है या हमारी कुंडली मांगलिक दोष से ग्रस्त तो नहीं है
अगर जन्म कुंडली के लग्न चक्र में मंगल 1 4 7 8 अथवा 12 स्थान पर होता है तो कुंडली में मांगलिक दोष पाया जाता है
यह बहुत सरल और आसान से गणित है कि जब भी इन भावों में मंगल की स्थिति मौजूद होती है तो हमारी कुंडली में मांगलिक दोष पाया जाता है
डबल मांगलिक या ट्रिपल मांगलिक दोष क्या होता है
जब भी मंगल पहले चौथे सातवें आठवें और बारहवें भाव में अपनी नीच राशि में बैठा है तो यहां पर यह योग मांगलिक दोष को दोगुना कर देता है इसी योग को डबल मांगलिक दोष कहते हैं या हमारी कुंडली डबल मांगलिक दोष से ग्रस्त हो जाती है
यदि मंगल पहले चौथे सातवें आठवें और बारहवें भाव में अपनी नीच राशि मैं बैठा हो साथ ही कोई पाप ग्रह या क्रूर ग्रह जैसे शनि राहु केतु या सूर्य मंगल के साथ उपस्थित हो तो यहां पर यह योग ट्रिपल मांगलिक दोष को जन्म देता है
इसी प्रकार गणना की जाए तो कुंडली में 5 गुना तक मांगलिक दोष हो सकता है
मांगलिक दोष के परिहार
जन्मपत्री में द्वादश भाव होते हैं और उनमें से पांच भाव में मंगल होने पर मांगलिक दोष बनता है इसका अर्थ यह हुआ कि 42 परसेंट लोग मांगलिक दोष से युक्त होते हैं लेकिन वास्तविकता यह है की 90 परसेंट जन्मपत्रीयोँ में मांगलिक दोष भँग हो जाता है उसके लिए शास्त्र ग्रंथों में अनेक परिहार मिलते हैं जैसे:
- धनु राशि का मंगल द्वादश भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता
- मेष राशि का मंगल लग्न में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता
- वृश्चिक राशि का मंगल चतुर्थ भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता
- वृषभ राशि का मंगल सप्तम भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता
- मकर राशि का मंगल अष्टम भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता
- अगर केंद्र में चंद्र मंगल की युति होने पर भी मांगलिक दोष नहीं होता
- गुरु चंद्र की युति होने पर भी मांगलिक दोष नहीं होता
- राहु मँगल की युति होने पर भी मांगलिक दोष नहीं होता
- दूसरे भाव में चंद्रमा और शुक्र की युति हो तो मांगलिक दोष समाप्त हो जाता है
मांगलिक दोष होने के बावजूद दूसरे की जन्मपत्री में यदि 3,6,11 भाव में पाप ग्रह स्थित हों तो भी मांगलिक दोष भंग हो जाता है
मांगलिक दोष के कारण जीवन में क्या-क्या समस्याएं आती है
मांगलिक दोष से युक्त जातक या जातिका में क्रोध झगड़ालू प्रवृत्ति हिंसक स्वभाव आदि होने के कारण परस्पर भावनात्मक लगाव नहीं बन पाता यही कारण है कि विवाहित जीवन में मांगलिक दोष का विचार किया गया क्योंकि मंगल उग्र स्वभाव का जिद्दी अड़ियल लड़ने को झगड़ने को तैयार एवं क्रोधी प्रवृत्ति का होता है यही अवगुण किसी भी रिश्ते में अगर आ जाए तो वह रिश्ता भी धूमिल हो सकता है
क्या मांगलिक दोष के कारण वर या वधू में से किसी एक की मृत्यु हो जाती है
यदि लड़का मांगलिक है और कन्या मांगलिक नहीं है तो विवाह का विनाश हो जाएगा इसी प्रकार यदि कन्या मांगलिक है और लड़का मांगलिक नहीं है तो भी विवाह का नाश हो जाएगा यहां विनाश शब्द का अर्थ होता है कि विवाहित जीवन का नाश होना
शास्त्रों में विवाह की मृत्यु का अर्थ हुआ करता है पति-पत्नी का अलग अलग चारपाई पर शयन करना ही विवाह की मृत्यु कहलाता है ना की किसी एक की मृत्यु हो जाना यदि मांगलिक दोष हो और मंगल का प्रभाव सप्तम या अष्टम भाव पर पड़ रहा हो और अन्य भी विवाहित जीवन को नष्ट करने के योग विद्यमान हो तब जाकर ही पति पत्नी में से किसी की मृत्यु संभव होती है इस संदर्भ में भी दशा अंतर्दशाओं विचार अवश्य करना चाहिये
मांगलिक दोष के सरल और आसान उपाय
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